(शब्द नं. - 2)
अरदास कर रहे हैं
टेक :- अरदास कर रहे हैं, प्रभु (मालिक) शीश झुका करके।
अच्छे कामों में सफलता पाएं, दुआएं आपकी पा करके,
दुआएं आपकी पा करके।। अरदास कर....
1. अल्प ज्ञानी हम हैं, सो खुशियां आप से चाहते हैं,
जी खुशियां आपसे चाहते हैं।
ऐसा आत्म-बल देना, बुराइयों से रखे बचा करके। अरदास....
2. प्रेम व भक्ति का दाता दान हमको दे देना,
जी दान हमको दे देना।
गर डगर पे गिर भी जाएं, चला देना उठा करके।
अरदास...
3. नफरत, झगड़ा, निंदा जड़ से हटा दो जी,
जड़ से मुका दो जी।
प्रेम की गंगा बहा दो, रहमत की वर्षा करके। अरदास....
4. ऊँच-नीच सब धर्मों का सत्कार हम करें,
जी सत्कार हम करें।
एक डोर में पिरोना, प्रेम सूई चला करके।
अरदास....
5. प्रेम करें व नाम जपें, इस मार्ग पे चलें,
जी चलते ही जाएं।
हर पल समझाते रहना, प्यारे वचन सुना करके। अरदास...
6. “शाह सतनाम जी" रहमत आपकी पाएं जी,
रहमत आपकी पाएं जी।
ऐसा काम ना हम से होए, जो हो दिल दुखा करके। अरदास...
7. गुर, सखा, “मीत" सब तू है, विनती कबूल कर लेना,
जी विनती कबूल कर लेना।
अच्छे कर्म सभी करवाना, अन्दर से समझा करके। अरदास...।।