(शब्द नं. 9)
अज आए सतगुर जी
टेक :- अज आए सतगुर जी, जनवरी में, रूहों ने खुशियां मनाई,
अज आए सतगुर जी।
"पिता शाह सतनाम जी" का जन्म दिवस,
25 जनवरी आई, “पिता शाह सतनाम जी"।
1. रूहों ने तड़प के मालिक को, जब अपने पास बुलाया जी।
हे दाता जी तुम आओ जी, हमें काल ने है तड़पाया जी।
हो... सुनके रूहों की फरियादें, मालिक ने तरस कमाया जी।
25 जनवरी को मालिक ने, धरती पे चरण टिकाया जी।
अज आए ...
2. बन्दे का चोला पा के जी, धरती पे दयाल पधारे जी।
पाँच तत्त के पुतले में, ले लिया मालिक अवतारे जी।
हो... रूहों ने मंगल गाए जी, सारी सृष्टि है हर्षाए ही।
धन धन कहें आसमां व फिजां हैं दर्श खुदा के पाए जी।
"पिता शाह सतनाम जी"...
3. धन धन "शाह मस्ताना जी", हमें रब्ब का भेद बताया जी।
पैड़* है ये कुल मालिक की, सबको था ये बतलाया जी।
हो...सुनके दाता की ये बातें, थोड़ों को यकीन था आया जी।
जिस जिस ने भी था यकीन किया,
खुशियों का खजाना पाया जी। अज आए ...
4. नोटों के हार गले में पा, मस्ताना जी ने घुमाए जी।
कितने हैं सुंदर लगते जी, ये इलाही वचन फरमाए जी।
हो...मौज के हाथ है चढऩा जी, वरना नर्कों में है पडऩा जी।
वचनों को जिसने माना जी, है सचखण्ड में जा पहुंचे जी।
अज आए... * पद चिन्ह
5. गांवों शहरों में सत्संग लगा, सतगुर जी ने समझाया जी।
आपस में भाई भाई हैं, मन ने सबको भरमाया जी।
हो... एकता का पाठ पढ़ाया जी, प्रेम करना सबसे सिखाया जी।
नाम जपना बन्दे काम तेरा, रूहानियत का पाठा पढ़ाया जी। "पिता शाह सतनाम जी" ...
6. मनमते लोगों का टोला जी, जब रब्ब के नाम पे ठगने लगा।
मन माया पांच चोरों की, दल दल में जीव जब धसने लगा।
हो... सतगुर ने वचन उचारे जी,नाम जप के करो विचारे जी।
भवसागर से सतगुर मांझी, कर सकता पार उतारे जी।
अज आए...
7. ऐसी पाप जुल्म की आंधी चली, चारों ओर झूठ का पसारा था।
गन्दे नशों में धुत हो के जी, जब अपनों ने अपनों को मारा था।
हो... खाने पीने ऐश उड़ाने के, जब बन्दे ने असूल बनाए जी।
तब जीवों को समझाने लिए, जगह जगह पे सत्संग किए जी। अज आए ...
8. धन धन "शाह सतनाम जीओ", हमें जीने का ढंग सिखाया जी।
मोक्ष-मुक्ति का राह सच्चा, हमें सच्चा नाम बताया जी।
हो... दासन दास ये "मीत" दाता, कैसे तेरे गुण गाए जी।
जीभा व कलम में जोर नहीं, जो तेरे उपकार गिनाए जी।
"पिता शाह सतनाम जी"...।।