(शब्द नं. 8)आया, आया, आया जन्म
टेक: आया, आया, आया, जन्म दिहाड़ा आया।
माह जनवरी में मालिक ने आके दर्श दिखाया,
दर्श दिखाया।
1. रूहों की तड़प ने दयाल को रिझाया।
देख के तड़प जी शताबी* चला आया। *जल्दी
बनके मल्लाह जी है आप चल आए,
आदमी का चोला पाके हमेें समझाया। आया ...
2. जलालआणे में दाता चरण टिकाए।
माता आस कौर जी ने लाड़ लड़ाए।
पिता वरियाम सिंह जी हैं रूप को निहारें,
रूहों ने मिलकर मंगल गाया। आया ...
3. अनामी के वासी जी इस माह मेंं आए।
बिछड़ी हुई रूहोंं को लेने हैं आए।
मालिक ने दिया जी सन्देश रूहानी,
झूठा ये देश सच्चा सचखण्ड बताया। आया ...
4. काल ने रूहों को था बड़ा भरमाया।
फंसाने लिए मन माया को लगाया।
फंस गई रूहें इन में निकल ना पाए,
तड़प के रूहों ने फिर दयाल को बुलाया। आया ...
5. पांच चोरों का एक जाल बनाया।
विषय विकारों का चोगा है पाया।
फंस गई रूह इसमें निकल ना पाए,
फंसी हुई रूह को फिर याद प्रभु आया। आया ...
6. काल ने धोखे से कई रूप बनाए।
अन्ध-विश्वास में भी लिया फंसाए।
सच क्या है रूह को समझ न आए।
सच समझाने लिए खुदा चल आया। आया....
7. सत्संग लगा के दातार ने समझाया।
झूठ व सच सब का भेद बताया।
नाम धन सच्चा ये दुनिया है फानी,
मुक्ति का साधन सच्चा नाम बताया। आया...
8. "शाह सतनाम जी" मालिक खुद आए।
जीभा ना गुण तेरे, दाता जी गा पाए।
दासन दास ये "मीत" क्या सुनाए,
खाक को तूने दाता अर्श पे बिठाया। आया...॥