(शब्द नं. 7)
आज के दिन है खिली बहार
टेक:- आज के दिन है खिली बहार,
"शाह सतनाम जी" ने लिया अवतार।
अनामी से आए हैं, खुद सिरजनहार।
रूहों के व्यापारी हैं, "शाह सतनाम जी" दातार।
1. अनामी छोड़ के आए, दु:खी रूहों पे तरस कमाया।
काल के देश से रूह को, कुल मालिक आकर छुड़ाया।
बन्दे के, चोले में, सबको समझाएं हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार...
2. जलती-सड़ती दुनिया, है काल सभी को भरमाए।
सन्तों की संगत ऐसी, जो सबको ठंडक पहुंचाए।
गांव-शहर, में जाकर, ये बात बताएं हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार...
3. देखने तमाशा आए, हैं दिल को यहां पे लगाया।
भूल गए मालिक को, है माया ने जादू (पाया) चलाया।
मालिक से, मिलने लिए, सच्चा रास्ता दिखाए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
4. मन के पीछे लगकर, काल चक्कर में फंसता जाए।
दिन रात मन ये, इस रूह को नाच नचाए।
मन से बचने, का मार्ग, सच्चा नाम बताए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
5. स्वासों की कीमती पूंजी, जी मालिक से लेकर आए।
पांच चोर पूंजी लूटें, पर जीव की समझ ना आए।
इन चोरों, को सत्संग में, दूर भगाए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
6. चौरासी लाख जूनी, के बाद है नर तन पाया।
बार-बार ना आए, दुर्लभ जन्म जो हाथ में आया।
देवतों से, इस जून को, सजदा कराए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
7. सच्चा सौदा करना, तेरा काम है जीव को बताया।
लाखों कौडे राक्षसों, को पल में है देवता बनाया।
दर्शन जो, कर लेता, सचखण्ड पहुंचाए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
8. दुनिया में मिसाल ना, सच्चा सौदा है जो बनाया।
पैसा पाई ना लेते, धर्म जात ना कोई छुड़ाया।
नाम जो ले, (तर जाते) मोक्ष मिले, वचन ये फरमाए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....
9. "शाह सतनाम जी" की महिमा, को कोई है कैसे गाए।
दास "संत जी" हैं कहते, ना समुद्र मटके में समाए।
ओ मालिक, खुद रहबर, बन रास्ता दिखाए हैं।
"शाह सतनाम जी" दातार....।।