(शब्द नं. 6)
हत्थ जोड़ खड़े तेरे द्वार
टेक :- हत्थ जोड़ खड़े तेरे द्वार, ला दो पार जी, हां पार जी।
करिए सजदे सौ सौ बार, कर दो पार जी, हां पार जी।
1. अपने वल्ल जे तकिए दाता, औगुण साडे पल्ले।
औगुणहारां नूं तुझ बिन दाता,
होर कोई ना झल्ले, होर कोई ना झल्ले।
दर्श बिना है मंदड़ा हाल, सानूं बख्श दो बख्शणहार,
ला दो पार जी....
2. सबनूं कह - कह देखेया है, अपने सारे दु:खड़े।
किसे ना साडी बात सुनी जी,
मोड़े सबने मुखड़े, मोड़े सबने मुखड़े।
तुसीं सुन लो जी पुकार, तुध बिन ना लए कोई सार, ला दो....
3. मित्र आ आ सारे बनदे, देख देख के पैसा।
गर्ज कदे जे पूरी ना होवे, कहंदे रिश्ता कैसा,
कहंदे रिश्ता कैसा।
सब मतलब दे ने यार, तुध बिन ना किसे ते इतबार, ला....
4. प्यार तेरा बे-गर्ज है दाता, सारी दुनिया कहंदी।
ऐसी ताकत नाम तेरे विच,
ठण्ड कलेजे पैंदी, ठण्ड कलेजे पैंदी।
सब दुनिया दे सिरजणहार, साडी सुण लो जी पुकार, कर....
5. कर्म बुरे-बुरे साडे दाता, साडे कोल नजराना*।
लै के साडे बुरे कर्म जी, *भेंट करना
देन्दे नाम खजाना, देन्दे नाम खजाना।
साडे पापां दा चुक लेया भार, तुहाडी महिमा अपरम्पार, ला....
6. देण तेरा की दे सकदे हां, पापी असीं हां मूढ़।
कागां तो तूं हंस बनाए, दे के चरणां दी धूड़,
दे के चरणां दी धूड़।
दया-मेहर रहे जी अपार, साडी जुड़ी रहे जी तार, कर दो....
7. धन-धन "शाह सतनाम जी" दाता, तेरी शान निराली।
गुण तेरे की गा सकदे हां, दाता दो जग वाली,
दाता दो जग वाली।
असीं अर्ज रहे हां गुजार, तेरा मिलदा रहे सदा प्यार,
ला दो पार जी....
8. "दास" तेरी की शोभा गाए, ऐ मेरेया दिलदारा।
मिट्टी दा कण ताज लगा के, देवें खुद लिश्कारा,
देवें खुद लिश्कारा।
दित्ता रूह नूं जो मिठड़ा प्यार, इह तोड़ निभे दातार,
ला दो पार जी....।।