(शब्द नं. 28)
जो प्रेम करे सो पाता है
टेक:- जो प्रेम करे सो पाता है, वो प्रभु को मिल जाता है।
प्रेम में मालिक रहता है, प्रेमी ही जान ये पाता है॥
1. जात धर्म का भेद नहीं, हर दिल में मालिक रहता है।
एक नूर से सारे हैं साजे, ये नूर सभी में रहता है।
जिसने है माना सच इसको, प्रेमी वो ही कहलाता है, प्रेम में...
2. प्रेम नशा जब आ जाए, और नशा कोई भाता नहीं।
लाखों मट हों शराब के फिर भी, प्रेम घूंट बराबर आता नहीं।
चढ़ जाए प्रेम की मस्ती जी, वो ही ये बात बताता है, प्रेम में...
3. शक्ति प्रेम की है इतनी, इसका थाह किसी पाया है।
जिसने भी पाया है इसको, फिर अपना आप भुलाया है।
जो पकड़े प्रेम के नुक्ते को, इन्सान वो ये ही सुनाता है, प्रेम में...
4. इन्सान जो पत्थर दिल होते, प्रेम पल में मोम कर देता है।
कौडे जैसे राक्षसों को भी, ये पल में भगत कर देता है।
प्रेम बदल देवे सब कर्मों को, संतों का सार बताता है, प्रेम में...
5. शमां जले तो परवाना, आ पल में भस्म हो जाता है।
जो प्रेमी कुर्बां प्रीतम पे, वो सदा अमर हो जाता है।
सिर काट के हाथ पे रख लिया, वो बात ये ही दोहराता है, प्रेम में..
6. “शाह सतनाम जी दाता जी, तेरा प्रेम जिसने पाया है।
काल उसका क्या बिगाड़ेगा, जिस ऊपर तेरा साया है।
जी “मीत दासन दास है अर्ज करे,
कि प्रेम मालिक से मिलाता है, प्रेम में ...।।