(शब्द नं. 21)
सतगुर का जन्म दिन आ गया
टेक:- सतगुर का जन्म दिन आ गया, सुनो संगते।
प्यारे गुरू ने चौरासी से बचा लिया,सुनो संगते।।
देश छोड़ के अनामी गुरू अन्तर्यामी,
हमें काल से छुड़ाने आ गया, सुनो संगते।।
1. काल जीवों (रूहों) को रहा, भरमाए जी।
रूह रोए और , कुरलाए जी ।
रूह अर्ज गुजारे , हे प्रभु तूं बचा ले,
है काल ने हमें फंसा लिया, सुनो संगते...
2. गुरू रूहों की पुकार सुन, आए जी।
इस धरत पे चरण , टिकाए जी ।
जलालआने में जलाल, धार लिया अवतार,
दु:खी रूहों को आ दीदार दिया, सुनो संगते...
3. “शाह मस्ताना जी के, गुण गाएं जी।
हमें (कुल) मालिक दिया, मिलाए जी।
“शाह सतनाम जी प्यारे, जिसे जगत पुकारे,
इस रूह को मिला प्यारा पीया, सुनो संगते...
4. गुरू सत्संग कर , समझाया जी ।
रूहानियत का पाठ, पढ़ाया जी ।
कैसे जगत में आया, कहां दिल है लगाया,
सब भरम भुलेखा मिटा दिया, सुनो संगते...
5. रूह के बारे में हमें, बताया जी।
तूं यहां पे किस लिए , आया जी।
झूठा देश ये प्यारे, झूठे कम्म धन्धे सारे,
सच झूठ दा भेद बता दिया, सुनो संगते...
6. तू सतपुरुष का बेटा है। फंस काल देश में बैठा है।
तेरा काम नाम ध्याना, रूह को मोक्ष दिलाना,
तुझे मालिक ने अपना रूप दिया, सुनो संगते...
7. पछे लग मन के थे, भूल गए। लाल बदले खरीद हम, धूल रहे।
मन काल का वकील, कर रहा था जलील,
आ के सतगुर प्यारे छुटकार किया, सुनो संगते...
8. अनामी छोड़ के हमारे लिए, आए जी।
लिया चोला मानस का , पाए जी ।
दिन रात समझाया , मन माया से बचाया,
कैसे बताएं जो उपकार किया, सुनो संगते...
9. गुण गुरू के ना जाएं, गाए जी।
लाखों जन्म चाहे हम, पाएं जी।
“शाह सतनाम जी प्यारे, “दास जाए बलिहारे,
लगी चरणों में रहे प्रीत पिया, सुनो संगते...।।
सतगुर का जन्म दिन आ गया, सुनो संगते।
प्यारे गुरू ने चौरासी से बचा लिया,सुनो संगते।।
देश छोड़ के अनामी गुरू अन्तर्यामी,
हमें काल से छुड़ाने आ गया, सुनो संगते।।