(शब्द नं. 18)
शाह सतनाम जी दातार
टेक:- “शाह सतनाम जी दातार, जद लिया अवतार,
दु:ख टुट गए बीमारां दे।
1. धुन्ध पापां दी छायी हुई भारी सी,
काल घेर रखी आत्मा बिचारी सी।
रूह दी सुनके पुकार, गुरू सिरजनहार,
करन आए छुटकारां ने, “शाह सतनाम जी...
2. रूह नूं मन माया भरमाया सी,
चोग विषय ते विकारां दा पाया सी।
रूह दी पेश ना जावे, फंसी होई कुरलावे,
तोड़ो, पाप बे-शुमारां ने, “शाह सतनाम जी...
3. हे मालिक प्यारे! हुण आओ जी,
मैनूं काल दलदल चों बचाओ जी।
तेरी शरण हां आई, करो रहम दी कमाई,
अर्ज चरणां च गुजारां ए, “शाह सतनाम जी...
4. जलालआने विच चरण टिकाए जी,
सब रूहें ने मंगल गाए जी।
सब पासे हैं बहार, नूरी पै रही फुहार,
दिन आ गए बहारां दे, “शाह सतनाम जी...
5. दो जहानां दा मालिक आया जी,
चोला मानस दा काल देश पाया जी।
करन नाम प्रचार, दस्सण करना प्यार,
वपारी आए ने प्यारां दे, “शाह सतनाम जी...
6. गुरू अक्खां दे डॉक्टर आए जी,
सच देखण वाली अक्खां है बनाए जी।
गुरू चरणां दी धूड़, मन दा तोड़दी गरूर,
दसेया सन्तां दे विचारा ने, “शाह सतनाम जी...
7. “शाह सतनाम जी दी ताकत अथाही जी,
पहाड़ां उजाड़ां विच जावे जो बचाई जी।
आके सानूं समझाया, निजघर है बताया,
प्रेम दियां सरकारां ने,”शाह सतनाम जी...
8. दास चरणां दा “मीत बनाया जी,
परोपकार जाना नहीं *लाहया जी। * उतारेया
कहे दास तेरा “मीत, साडी ओड़ निभे प्रीत,
गुण गाइए उपकारां दे,”शाह सतनाम जी...।।