(शब्द नं. 17)
"शाह सतनाम जी" आए चोला धार जी
टेक:- "शाह सतनाम जी" आए चोला धार जी,
दुनिया रही थी जिन्हें पुकार जी।
"शाह सतनाम जी" (सतगुर) लिया अवतार जी,
रूहों की सुनके पुकार जी।।
1. रूहों को काल फसाया है, अपना देश भुलाया है।
मालिक ने तरस कमाया है, चलके शताबी* आया है।
छूट ना सके हैं लाचार जी, रूहों की सुनके...
2. काल ने दायरा बनाया जी, कर्म काण्ड में फंसाया जी।
बुरे कामों में लगाया जी, सच्चा जो काम था भुलाया जी।
देख तड़पती रूहें बेशुमार जी, "शाह सतनाम जी" ...
3. मन की ताकत भारी जी, काल का जो है पुजारी जी।
आत्मा को लगी ये बीमारी जी, *बहुत जल्दी
चक्कर में फंस रही बिचारी जी।
मन से कराने छुटकार जी, "शाह सतनाम जी" आए...
4. माया को नागनी बताए जी, जगत रही डहकाए जी।
दूसरा रूप दर्शाए जी, पाप जुल्म करवाए जी
माया का हटाने अत्याचार जी, "शाह सतनाम जी" लिया...
5. सत्संग क्या समझाया है, मालिक का नाम जपाया है।
काल का पर्दा हटाया है, सच्चा जो मार्ग बताया है।
रूहों का करने उद्धार जी, "शाह सतनाम जी" लिया ...
6. सत्संग में चलके जो आएगा, प्रभु को जल्दी वो पाएगा।
नाम की युक्ति पाएगा, सीधा सचखण्ड जाएगा।
मालिक ने की कृपा अपार जी, रूहों की...
7. सन्त जगत में आते हैं, मानुष तन वो पाते हैं।
हमारी तरह यहां रहकर, प्रभु का ज्ञान करवाते हैं।
करना सिखाया सबसे प्यार जी, "शाह सतनाम जी" लिया ...
8. सन्त वचन जो सुनाएं जी, रूहों को ठण्डक पहुंचाए जी।
असली सबक पढ़ाएं जी, प्रभु के काबिल बनाए जी।
नाम का करने प्रचार जी, "शाह सतनाम जी" आए ...
9. "सतनाम" का भेद ना पाया है,
जो भी फकीर यहां आया है।
दोनों जहां का मालिक, "शाह सतनाम जी" बताया है।
कह रहे "संत सेवादार जी"
"शाह सतनाम जी" की महिमा अपार जी।
"शाह सतनाम जी" आए ...।।